चाय अदरक वाली
चाय अदरक वाली
इतना सर्द है ये मौसम, बेदर्द है घरवाली
कहती लाओ जल्दी से, गरम चाय की प्याली।
तुम्हारा पेट खराब है, एक् ही कप बनाना
पूरा ही दूध चढ़ाओ, एक बून्द पानी ना देना।
तुम्हें तो मालूम ही होगा, अदरक कहाँ रखी है
डालना ठीक हिसाब से, ना कम हो ना ज्यादा हो।
चीनी थोड़ी सी ज्यादा, पत्ती थोड़ी सी हो अधिक
बनाओ कड़क सी प्याली, ये ठंड भी बढ़ गयी तनिक।
हाँ सुनो आँगन में रखा है, तांबे लोटे में पानी
गटक लो गैस्ट्रिक ठीक होगी, तुम्हारी मर्ज पुरा
नी ।
कंबल से बाहर निकलना, नामुमकिन सा लगता है
ऊपर से आलसी तुम सा, मेरा मूड बिगाड़ता है।
इतनी संस्कार ना सीखे हो, अपने पप्पा-मैया से,
कैसे ख़ुश रहे मालकिन, ख़ातिर की जाती कैसे।
उधर बड़बड़ाती बीवी, फड़फड़ाता ये पतिला
बीच में बीवी का मारा, पति बेचारा अकेला।
ठंड हो या गर्मी हो, या बरसात या पतझड़
पति तो पति होते हैं, बारह महीने, आठों पहर।
ऐ खुदा ! इतनी ही रहम करना इस नाचीज पे
नवाजना सात जन्म तक ऐसी चीज़ अजीज़ से।।