आज के हाल
आज के हाल
घड़ी में बजे सुबह के चार है
नींद गुल और हाल बेहाल है
वजह सिर्फ यही है शायद
लोगो का मुझसे बेहतर हाल है ।
घी शायद ज्यादा परोसा है उसकी थाली में
कोई घूम रहा देश परदेश
तो किसी की पेस्लीप कमाल है
इसी प्रेशर में दोस्तो
नींद गुल और हाल बेहाल है ।
बहुत दिनों से कहीं सैर नहीं लगाई
हसीं वादियों में फोटो नहीं खींचवाई
फ़ेसबुक इंस्टा की दीवारें खाली है बहुत दिनों से
हाय मुई ज़िन्दगी में क्या किया मैंने कमाल है
बस नींद गुल और हाल बेहाल है ।
ना जाने मम्मी पापा कैसे जिया करते हैं
नो से पांच की नौकरी में भी खुश रहा करते हैं
रोज सुबह टहल लेते है पास ही के बगीचे में
ज़िन्दगी तो उनकी भी बेमिसाल है
ना नींदे गुल , ना हाल बेहाल है ।
वक़्त अलग है, दौर अलग है
हमारे जीने के अंदाज़ अलग है
मुस्कुराहट भी अब मौकापरस्त हो गई है
खुश रहना और खुशी दिखाना अलग है
दिखावटी दुनिया में शायद सभी का ये हाल है
नींद गुल और हाल बेहाल है ।
थोड़ा फोन से बाहर निकल
थोड़े ज़िन्दगी के मायने बदल
तुलना ना कर किसी से अपनी
तू अपने बनाए रास्ते पे चल
जिस दिन तू अपनी मंज़िल निकाल लेगा
ना नींद गुल होगी , ना हाल बेहाल होगा ।