महँगाई
महँगाई
आज मंगलवार है
लाला जी को बुखार है
डाक्टर घर के पास है
पर फीस कुछ खास है।
लाला जी परेशान हैं
महँगाई की मार है
ऊपर से ये बुखार है
बच्चों की भरमार है।
घर चलाएँ या डा.जाए
सोच कर दिल घबराए
फीस न देनी पड़ जाए
मन में सोच भरमाए।
झाड़ फूँक से हुआ न फायदा
घर का टूणा टोटका सब छूटा
खड़े खड़े अब चक्कर घूमा
लाला जी का सिर भी फूटा।
जाना पड़ा डा. के पास
खर्चा हो गया दो हजार
सिर पकड़ कर बैठे लाला
मुँह पर जैसे लग गया ताला।
सब उनको बार बार समझाएँ
जान बची तो लाखों पाएँ
मुश्किल से कुछ समझ पाएँ
पर महँगाई रोना रोते जाएँ।