बटुए की सफाई
बटुए की सफाई
तनख्वाह में मैं तो कुछ भी नहीं पाती हूँ,
पर देखो अपने पति से ज्यादा कमाती हूं।
मेरे पति का बटुआ मुझे बहुत ही भाता है,
मेरी कमाई का हिस्सा सब वहीं से आता है।
जरूरत पड़ने पर सब उनको ही दे देती हूं,
पत्नी हूं इसलिए मुश्किलों में हिस्सा लेती हूं।
कमाने का नया एक जरिया मैने निकाला है,
दस की जगह बीस का हिसाब दे डाला है।
एक ही पल में दुगने हो जाते हैं पैसे मेरे सारे,
बटुए में एकटक देखते रहते हैं मेरे पति बेचारे।
कुछ वह खुद देते हैं तो कुछ चुरा कर लेती हूं,
पैसे का अक्सर डबल हिसाब बता कर देतीं हूँ।
वैसे पति का बटुआ तो हमेशा भर कर आता है,
पर मेरे हाथ आते जाने क्यों खाली हो जाता हैं।
सिर्फ कुछ हजार देकर मैंने एक लाख लूटे हैं,
मेरे पति के पसीने फिर भी जाने क्यों छूटे हैं।
एक लाख से अच्छा दो लाख मांगना चाहिए था
पति से अच्छा बटुए से निकालना चाहिए था।
अब वह सोते हैं तो मैं सबसे बड़ा काम करती हूं,
दबे पाव जाकर पति का बटुआ साफ करती हूँ।
लोग कहते हैं मेरी खुद की कमाई भी जरूरी है,
सोचती हूँ इसलिए बटुए की सफाई भी जरूरी है।