कवयित्री
ना जाने मम्मी पापा कैसे जिया करते हैं नो से पांच की नौकरी में भी खुश रहा करते हैं। ना जाने मम्मी पापा कैसे जिया करते हैं नो से पांच की नौकरी में भी खुश रहा करते ह...
आंज लिया है काज़ल आंखो में रंग बिरंगी चूड़ियां खनक रही मेरे हाथों में आंज लिया है काज़ल आंखो में रंग बिरंगी चूड़ियां खनक रही मेरे हाथों में
जहां ज़िद हो तो सिर्फ़ एक खिलौने की बेट- बॉल की या उस नन्ही सी गुड़िया की जहां ज़िद हो तो सिर्फ़ एक खिलौने की बेट- बॉल की या उस नन्ही सी गुड़िया की
मैं आम भी हूँ, मगर खास हूँ... भारत की बेटी हूँ, हाँ, मैं आज़ाद हूँ ... मैं आम भी हूँ, मगर खास हूँ... भारत की बेटी हूँ, हाँ, मैं आज़ाद हूँ ...