याद
याद
बस तुम्हारी याद है
आंखो में इंतज़ार है
बातों में इज़हार है
उम्मीदों की आहट लेके आई
बस तुम्हारी याद है ।
आशाएं झलकती है कहीं ना कहीं
आयते जब पढ़ती हूं तुम्हारे लिए
दुआएं खेलती है आंखमिचौली उनमें
धूप सा महकती हूं तुम्हारे लिए
तेरी मुस्कान से मेरा जहां आबाद है
और कुछ नहीं बस तुम्हारी याद है ।
आंज लिया है काज़ल आंखो में
रंग बिरंगी चूड़ियां खनक रही मेरे हाथों में
तन मन से सज़ रही हूं बस इसलिए
लफ़्ज़ों में ना सही, तारीफे झलक जाए तेरी आंखो में
तब तक लेकिन , तन्हाई है, और आसमां में वो चांद है
और कुछ नहीं बस तुम्हारी याद है ।
तू दूर है फिर भी पास है
मिलने का वक़्त तै नहीं, लेकिन आस है
हर ज़र्रे ज़र्रे में है ज़िक्र तेरा
लफ़्ज़ों ने तो सिर्फ बुझाई कलम की प्यास है
चाहे दीवानगी कहे इसे दुनियावाले
लेकिन पाक़ ये मेरा प्यार है
और कुछ नहीं बस तुम्हारा इंतजार हैं
बस तुम्हारी याद है ।