विश्वास, संघर्षों से लड़ने का
विश्वास, संघर्षों से लड़ने का
चूँ-चूँ कर के गाती हो,
तुम मीठा गीत सुनाती हो,
जीवन के इस नीरस पल को,
कैसे मधुर बनाती हो तुम ?
उड़ती हो स्वच्छंद,
रहती हो मदमस्त गगन में,
नभ की आज़ादी को छोड़,
यहाँ धरती पर क्या पाती हो तुम ?
नन्हे-नन्हे से हैं पर ये तेरे,
ऊँची तेरी उड़ान है,
संघर्षों से लड़ने का विश्वास,
कहाँ से लाती हो तुम ?
जिसका अर्थ ना जाना हमने,
उस तृण का मूल्य बताती हो,
बिखरे तिनकों को समेटने का इतना,
साहस कैसे लाती हो तुम ?
कुछ सिखला दो मुझको भी,
कुछ बतलादो मुझको भी,
मुश्किल से हालातों में,
वृष्टि और तूफानों में,
जीवन को जीते रहने का ये,
हुनर कहाँ से लाती हो तुम ?
जीवन के हर नीरस पल को,
कैसे मधुर बनाती हो तुम ?
