एक नई शुरूआत
एक नई शुरूआत


चलो एक नई शुरुआत करते हैं !
ख़्वाहिशों के कुछ अधूरे पन्नों को,
ताक पर धर,
अब उनसे मुँह फेर लेते हैं।
हाँ हाँ...चलो एक नई शुरुआत करते हैं !
सोच की उधेड़बुन में जो,
उलझे हैं ताने-बाने पर,
उन्हें फिर से इक बार,
नया आकार देते हैं।
हाँ हाँ...चलो एक नई शुरुआत करते हैं !
बीते लम्हों की यादों का,
इक पुलिंदा-सा है मेरे पास,
क्यों ना संदूक में रख कर,
अब उन्हें ताला लगाते हैं।
हाँ हाँ...चलो एक नई शुरुआत करते हैं !
वो घड़ी जो हर लम्हा,
तेरे इंतजार में चलती थी
,
अब भी मायूस सी आंगन की,
दीवार पर यूँ ही लटकी है,
चलो, किवाड़ खोल उसे घर से,
कहीं दूर छोड़ आते हैं।
हाँ हाँ...चलो एक नई शुरुआत करते हैं !
शुरुआत इक ऐसी,
शुरुआत इक ऐसी कि,
जिसमें न यादों का पुलिंदा होगा,
न ख्वाहिशें अधूरी होंगी,
न इंतजार के लम्हे,
ना जिंदगी मायूस होगी।
होगा तो बस,
इक जहाँ ऐसा होगा,
जिसके दिल में न,
दर्द का सिलसिला होगा।
जो मुझ में कुछ,
इस कदर सिमटा होगा,
मुझसे हर पहर लिपटा होगा,
जहाँ मैं और सिर्फ मेरा खुदा होगा,
वही अब मेरा जहाँ होगा।