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Anurag Saxena

Drama Tragedy Inspirational

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Anurag Saxena

Drama Tragedy Inspirational

एक वक्त की रोटी का सवाल है।

एक वक्त की रोटी का सवाल है।

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हालत बेहाल है

पसीने से बुरा हाल है 

कमबख्त,

दिमाग में फिर भी यही खयाल है

एक वक्त की रोटी का ही सवाल है।


इतने मीलों तक ये कदम

पैदल चलकर आए हैं।

मैं अकेला नहीं,

मेरे जैसे और भी आए हैं।

भंडारा लगा है शायद, 


भूखा मैं भी हूं मगर और मेरे

परिवार का भी यही हाल है।

कमबख्त,

दिमाग में फिर भी यही खयाल है

बस, एक वक्त की रोटी का ही सवाल है।


जानता हूं राह सुगम नहीं है मेरी

अभी अभी तो कतार में लगा हूं

ना जाने कितने घंटे लग जाएंगे ? 

मगर उम्मीद है मन में उसी की

खातिर यहां लाइन में लगा हूं।


धूप भी अपनी चरम सीमा पर है

मगर यह पेट की आग भी बड़ी कमाल है 

कमबख्त,

दिमाग में फिर भी यही खयाल है

अभी तो एक वक्त की रोटी का सवाल है।


अभी-अभी तो मेरा नंबर आया है

अभी तो यही क्रम मुझे दोहराना है

 मेरा घर भी तो अत्यंत दूरस्थ है

खाने की प्लेट को घर भी तो पहुंचाना है


 शायद दो या तीन फेरे करने पड़ेंगे मुझे

आज दो के दिन बाद मेरे परिवार को

शायद पेट भर खाना नसीब होगा।

जो परिवार दो दिन से भूखा है

उसके लिए तो हर भोजन बेमिसाल है। 


कमबख्त,

दिमाग में फिर भी यही खयाल है।

आज तो बस एक वक्त की रोटी का सवाल है।


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