लौटा दो
लौटा दो
लौटा दो,
मेरे मोहब्बत का वो सारा निशान लौटा दो,
वो हंसी मेरी वो गुनगुनाती हुई आवाज़,
लौटा दो,
नाम छोड़ा, काम छोड़ा तेरे लिए मैंने वो अपना सारा मुकाम छोड़ा,
वो भी मुझे लौटा दो,
ये घर ये शान ओ शौकत सब तुम रख लेना,
बस मुझे मेरा वजूद लौटा दो,
जो सपने लेकर आई थीं मैं,
वो सारे जज़्बात लौटा देना,
जा की तुझे फिर कोई मेरे जैसा इश्क न मिले,
और हो अगर कही तो तेरा दीदार ना मिले,
तुझे पूजा करते थे किसी देव की तरह,
हमें क्या पता था कि तू पत्थर से बना है,
जा तुझे कभी किसी का प्यार ना मिले।।