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दिनेश कुमार कीर

Drama Inspirational Others

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दिनेश कुमार कीर

Drama Inspirational Others

प्रेम

प्रेम

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अपने वक्त के कीमती लम्हे किसी को देना।

किसी की सुन लेना। 

किसी की आंख से आंसुओं को चुन लेना। 

किसी के ज़ख्मों पर मीठे बोल के मरहम लगा देना।

बिना किसी रिश्ते के बिना किसी संबंध के किसी के दर्द का एहसास होना।

यहीं तो प्रेम है।

बस हम लोगों ने इसे पढ़ा ही गलत तरीके से है,

पढ़ा ही गलत नियत से है। 

इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़रों से देखा जाता है।

परमात्मा के बाद अगर दुनिया में कोई पवित्र चीज है तो वो है प्रेम....

कुछ खास जादू नहीं है... 

हमारे पास...

बस बातें... 

दिल से करते हैं


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