उसकी याद हसीन बन गई
उसकी याद हसीन बन गई
उसकी कुछ यादें बेरंग बन गई
उसकी कुछ यादें हसीन बन गई
और यादों यादों में मैं भी नासमझ बनती गई
वह सच-झूठ सुनाता ही जाता है हमेशा
और में भी हंसकर सब सुनती जाती हूँ हमेशा
वो बाते आज भी याद करके मैं हर बात सोचती रहती
वो हर रोज अनसुलझे सवाल किया करता है
और मैं सवालों के जवाब में ही उलझ के रह जाती हूँ
उसकी कुछ यादें बेरंग बन गई
उसकी कुछ यादें हसीन बन गई
और यादों यादों में मैं भी नासमझ बनती गई।
