आज एक बा
आज एक बा
आज फिर एक बात याद आई
और में रो पड़ी
न जाने क्यूं एक अनबन सा लग रहा है सब जगह
पर क्या करूँ
याद जो आ रही हैं माँ-पापा कि
घर जाना पर है जा नहीं सकती
देखना है अपनी आँखों से पापा को, माँ को
आज फिर पापा की कही एक बात याद आई
और में रो पड़ी
सब जगह मुझे जाना है
सबसे बहुत सारी बातें भी करनी है
पर ऐसा लगता है कि सुनने वाला कोई नहीं है यहाँ
अंदर ही अंदर रोती रहती हूँ,
अपने आपसे बातें करती रहती हूँ
आज एक बात नई याद आ गई जो माँ ने कही थी
और में हंसते हंसते रो पड़ी।
