माँ का प्यार
माँ का प्यार
प्यार कि तो कोई सीमा भी होती होगी,
पर जहाँ प्यार कि कोई सीमा ही न हो उसे माँ कहते हैं
मुसकुरा ने कि भी बहोत वजह होती है
पर जिसकी वजह से हम मुसकुराते है वह माँ होती है
दिखावा तो हर कोई करता है आज के जमाने में
पर दिखावे में भी प्यार करे ना वह माँ होती है
हम संघर्ष अपने लिए करते हैं
पर जो हमारे लिए संघर्ष को जीवन मानकर चलते हैं वह माँ-पापा होतें है
माँ के ऊपर तो क्या ही कहूँ
क्योंकि माँ को कभी तोला या लिखा नहीं जा सकता।
