STORYMIRROR

Hardik Mahajan Hardik

Abstract

4  

Hardik Mahajan Hardik

Abstract

वक़्त

वक़्त

1 min
489

मैं वक्त के पल में बंधा हूँ।

और वक्त मेरे पल में,


 मैं वक्त से सहमा हूँ।

 और वक्त मुझसे,


मैं वक्त का सहारा हूँ।

और वक्त मेरा,


 मैं वक्त का साथी हूँ।

और वक्त मेरा,


मैं वक्त को बांधें रखता हूँ।

और वक्त मूझें,


मैं वक्त से टिक-टिक करता हूँ।

और वक्त मुझसे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract