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Anshita Dubey

Drama Tragedy

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Anshita Dubey

Drama Tragedy

मिट्टी सी बेटी हूँ मैं

मिट्टी सी बेटी हूँ मैं

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कभी नम हो जाती हूँ गम से,

कभी सख्त हो जाती हूँ श्रम से,

कभी सौंधी खुशबू सी जाती हूँ बिखर,

कभी हौसले से चढ़ जाती हूँ शिखर,

कभी दरिया संग बह जाती हूँ इक छोर,

कभी तट पर रुक जाती हूँ बन डोर,

कभी उल्फत लहरों से जाती हूँ मिलने,

कभी शांत सरोवर में जाती हूँ खिलने,

कभी एहसासों की नदी में जाती हूँ डूबने,

कभी तूफानी भंवर सी लगती हूँ ऊबने,

कभी आसमां को मुट्ठी में लगती हूँ बाँधने,

कभी जमीं को ही अपना अरमां लगती हूँ मानने।



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