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Anshita Dubey

Comedy

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Anshita Dubey

Comedy

इतिहास की परीक्षा

इतिहास की परीक्षा

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इतिहास की परीक्षा थी उस दिन, चिंता में दिल धड़कता था

थे बुरे शगुन घर से चलते ही बाँया नयन फड़कता था

तुम आठ मिनट हो लेट,द्वार पर चपरासी ने बताया

मैं मेल ट्रेन की तरह,भागती हुई कक्षा में आयी

एक पेपर लिया हाथ में,पढ़- पढ़ कर सर घूम गया पढ़ते ही छाया अंधकार,

चक्कर आया, सोचा हो गया बंटाधार

सौ नंबर के प्रश्न थे उसमें, मुझको दो की आस नहीं 

चाहे दुनिया सारी पलटे, हो सकती मैं पास नहीं 

आंखें बंद कर फिर बैठ गयी, बोली भगवान कुछ दया करो 

हनुमान चालीसा का पाठ किया

आकाश फाड़ कर फिर, आवाज आयी एक 

अरे मूर्ख,क्यों रोती है,जरा ऊपर तो देख 

मैंने ऊपर देखा,मेरे अंतर द्वार खुले 

चल पड़ी मेरी कलम,कॉपी पर ऐसी चंचल 

जिस तरह खेत की छाती पर चलता है हरवाहे का हल 

मैंने लिखा- 

पानीपत का युद्ध हुआ था सावन में 

जापान जर्मनी के बीच 1857 में।

अकबर ने ताजमहल बनवाया

हिटलर ने हिंद-महासागर अमेरिका से मँगवाया।

लिख दिया महात्मा गांधी, नेहरू जी के चेले थे 

बचपन में एक साथ गिल्ली- डंडा खेले थे।

अंत में लिख दिया इतिहास की कोई बात न सच्ची

पढ़कर इसे व्यर्थ में होती माथा पच्ची 

हो गया परीक्षक हैरान सा, 

मेरी कॉपी देख बोला 

इन सब में होनहार बस यही एक 

सबकी कॉपी फेंक दिया

मेरी कॉपी छाँट लिया

बाकी सब नंबर काट कर

जीरो नंबर बांट दिया।


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