दोहे : एलियंस
दोहे : एलियंस
भांति भांति की दुनिया है, लोग भी बड़े अजीब
कोई लंपट कोई धूर्त है, तो कोई है अमीर गरीब
जाने कितने लोक हैं, जाने कितने जीव अनूप
जान सका नहीं आज तक इनके कितने रूप
कल्पना लोक विशाल है इसका ओर न छोर
एलियंस जैसे जीवों का इसमें सुनते हैं शोर
हर एक मनुष्य एलियंस है प्रभु का है यह दूत
मानव का कल्याण करे जो कहलाता अवधूत
मानवता की सेवा में जो, लगा रहे दिन रात
वो नर एलियंस कहलाता है उसकी क्या है बात।