सोने की चूडी
सोने की चूडी
शाटरडे इन दी नाईट,
मुड था कुछ राईट ၊
श्रीमती जी प्यार से बोल पड़ी,
कबसे कह रही हूं,
ला दो मुझे,
सोने की चूडी ၊
पहनूंगी शान से,
बाते करूंगी बड़ी ၊
पुष्प नक्षत्र पर,
आयी वह शुभ घडी,
हमने ला दी,
सोने की चूडी ၊
देखकर पगली,
खुशी से रो पडी ၊
पहनकर नयी साडी,
नयी नयी चूडी ၊
मंदिर में करें आरती,
लंबे हाथ कर,
होकर खड़ी ၊
किसी की नज़र,
चूडी पर नहीं पडी ၊
मन ही मन चिड़ी၊
मोहल्ले के नल पर,
होकर खड़ी,
हाथ हिलाकर ,
बातें कर रहीं बड़ी बड़ी, ၊
चूडी पर नज़र,
किसी की ना पड़ी ၊
घर आकर, झल्लाकर,
खुब रो पडी ၊
कारण पूछा,
तो हमसे लड़ पडी ၊
घर की लडाई,
घर बाहर पडी ၊
मोहल्ले की औरते,
तमाशा देख रही खडी ၊
राधा की नज़र,
चूडी पर पड़ी ၊
वह बोल पडी,
अरे, कमला !
" कब ली तुमने,
सोने की चूडी ၊"
कमला मुस्कराकर,
बोल पडी,
" पगली तू पहले,
क्यों नही बोल पडी ၊"
इसलिए तो मैं,
अपने पिया से लड़ पड़ी ၊