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Dinesh Dubey

Comedy

4  

Dinesh Dubey

Comedy

सपनो की दुकान

सपनो की दुकान

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सपनो की दुकान खुलवा,

दी थी मुझे रब ने ,

जिसे जो समझ आया वो,

खरीद लिया सब ने,।

सपनो में ही मिल गया ,

ढेर सारा धन ,

मैं भी बहु खुश हुआ देख कर ,

गया था मैं भी धन्ना सेठ बन,।

सपनो में ही आया जो पैसों,

का बहुत घमंड ,

सबको सुना दिया ,

एक तरफा नया नियम ,।

मैं हूं राजा तुम सब हो मेरे अधीन ,

जो न माना उसकी बजा दूंगा बैंड,

तभी बापू ने खीच के मारा डंडा,

टूट गया मेरे सपनो का अंडा,।

कहने लगे उठ बड़े निकम्मे,

कबसे तू दे,रहा है पैसे ,

सो सो कर है खाट तू तोड़े ,

आज मिलेंगे तुझको खूब,

जमकर डंडे ।



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