क्या हो गये देखते देखते
क्या हो गये देखते देखते
वो जो आये थे नई राजनीति करने
कीचड़ में सन गये देखते देखते ।
आम आदमी का चोला उतरने लगा
"मुगलेआजम" बने देखते देखते ।।
ईमानदारी में वो इतने कट्टर हैं जी
"चक्की" पीसने लगे देखते देखते ।
जेल से ही चलायेंगे वो सरकार को
"रेफरेंडम" कर रहे देखते देखते ।।
जांच करने की बातें जो करते कभी
वो जांच से भाग रहे देखते देखते ।
अपने गुर्गों के कंधों पे रख के बंदूक
गोलियां दाग रहे देखते देखते ।।
वो जो आये थे "नायक" बनकर यहां
खुद "विलेन" हो गये देखते देखते ।
अपने वादों से पल पल पलटते रहे
"गिरगिट लाल" हो गये देखते देखते ।।
