नेवरसा
नेवरसा
पाय नेवरसा खुश हव गोलुआ बोले दांत चियारी के।
एक कट्ठा मोर बाबू के हव दू कट्ठा ससुरारी के।
चाल चलन में परिवर्तन ह बइठल गाल बजावेला।
सबही क औकात घूम घूम खड़े खड़े ऊ नापेला।
रजनीगंधा रगड़ के खाला चऊचक ठोंक सोपारी के।
मुंह लोक लोक बतियावेला ऊ सबही के धकियावेला।
बिन जरबन जंघिया पहिने क फयदा गजब गिनावेला।
कहे का दिक्कत हव बहनोई आवा राजा देवारी के।
अगुआई अब करे घूम घूम जइसे हव रोजगारी।
लईकी छांटे जईसे किनहा भंटा क तरकारी।
खुद बिना दांत क मसगूर लउके हंसला पर मेहरारू के।
एक कट्ठा मोर बाबू के हव दू कट्ठा ससुरारी के।