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V. Aaradhyaa

Comedy Romance

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V. Aaradhyaa

Comedy Romance

पत्नी बन गई फिर से दासी

पत्नी बन गई फिर से दासी

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इस वर्ष भी करवाचौथ भी बीत गया रे निराशी,

अब होने चला है कुछ रूपहला सा चाँद बासी !


सौंदर्यमणि भार्या की चमक हो गई अब कांसा सी ,

अब वो सुंदरी सजनी दिखने लगी जैसे कोई दासी !


घूंघट हटा हाथ में झाड़ू उठा पत्नी दिखी ज़रा सी,

मेकअप उतरा देख हैरान सजना चढ़ गया फ़ांसी।


विगत रात बादल में चाँदनी दिखी थी जैसे धवला सी,

आज रंग बदले वही चिड़िया रानी जैसे पक्षी प्रवासी !


परी सा मुख देख होश खो बैठा सैयां रुके ना हांसी,

हर दिन की तरह नहीं मिलती जैसे उन दोनों की राशि।


अब समझ आया,मुग्ध न हो सिर्फ देख कंचन सुंदर काया,

बल्कि सजनी ह्रदय करे तृप्त और कुछ बने ज्ञान पिपासी।


तभी सफल होगा विवाह और जीवन बने सुहासी,

पत्नी होगी अर्धांगिनी ना मेनका, रम्भा और ना दासी !


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