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हरीश कंडवाल "मनखी "

Comedy

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हरीश कंडवाल "मनखी "

Comedy

तस्वीर

तस्वीर

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  अब माथे की तकदीर नहीं, तस्वीर बोलती है

  अब सच नहीं, साहब झूठ की तोती बोलती है 

  रहा होगा कभी जमाना पाप पुण्या धर्म आस्था का

  अब तो राजनीति का धर्मकाटां धर्म को तोलती है। 


  तस्वीरों को दिखा सकते हो जितना दिखा सको

  ये इंसानियत का नहीं, सोशल मीडिया का जमाना है

  यहॉ तो जो दिखता है, वह सबसे ज्यादा बिकता है

  मौन रहना साधना थी कभी, अब तो वाचाल फलता है। 


  तस्वीरों से ही तो धर्म, आस्था, का प्रदर्शन होता है

  जो चुपचाप मंदिर दर्शन कर आता है निरामूर्ख होता है

  कभी मिलते थे तीर्थ धर्म स्थलों से पुण्य का सुफल

  अब तीर्थ धर्म स्थलों में, दिखावे के लिए रील्स बनता है। 


  सच और झूठ के बीच तस्वीर कुछ और बयां करती हैं

  असली कौन नकली कौन हर रोज भ्रम पैदा करती हैं

  फंस जाते हैं शरीफ लोग सोशल मीडिया की तस्वीरों में

  सामने मिलने पर चेहरा कुछ तस्वीर कुछ और होती हैं। 

 

 अब तो तस्वीरों के बड़े ही अजीब फंसाने हो गये, 

 हर कोई अब तस्वीरों को दिखाने के दीवाने हो गये

 कभी यादों की खजाने अपनों की यादें थी तस्वीरें

 अब तो दिखावे के लिए बिकती हैं हर रोज तस्वीरें। 


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