पत्नी की घुड़की
पत्नी की घुड़की
पत्नी घुड़की दे रही थी लेकर बेलन हाथ।
काहे किया था वादा फिर सदा निभाओगे साथ।
पिंकी रोई पर तुम थे सोए
दोनों बच्चों के कपड़े मैंने बार-बार धोएं।
तुम्हारा है इतवार तो क्या मैं बैठती हूं बेकार?
इस तरह से ही सुबह से वह लेकर बेलन हाथ में कर रही थी तकरार।
बिट्टू को मेरी गोद में डाल गई थी।
पिंकी को देकर टिफिन संभाल रही थी।
दोनों बच्चों को मुझे पकड़ा कर
वह निकली थी बाहर।
बोली हमेशा तुम्हारा होता है, आज मेरा है इतवार।
समय पर बिट्टू को दूध देना पिंकी को अपना टिफिन ही खाने देना।
वैसे बना हुआ है तुम्हारा भी खाना,
चाहे तो खाना वरना बाहर से ही मंगवा लेना।
बहुत समय बाद मेरी सहेली आई है बेंगलुरु से अपने ससुराल।
दूर नहीं है घर उसका मिलकर आ जाऊंगी, ना होना बेहाल।
आज पता चलेगा तुम्हें जो रोज कहते हो तू करती ही घर में क्या है?
आकर देखूंगी तुम्हारा हाल।
