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Vijay Kumar parashar "साखी"

Comedy Drama

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Comedy Drama

"कचोरी"

"कचोरी"

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भीलवाड़ा की कचोरी

उसकी ऐसी मुहंजोरी

न खाए बिगाड़ ले मुंह

जुड़ी रिश्ते की डोरी

जो खाते है, वो जानते

कचौरी स्वाद कटोरी

अब तो मां भी कहती

मोबाइल न देख, छोरा-छोरी

खिलाऊंगी तुमको, कचोरी

इससे आज मां की लोरी

डालो दही, प्याज, चटनी

फिर खाओ आप, कचोरी

स्वाद आयेगा, कुछ ओर ही

कचोरी स्वाद की कटोरी

प्रातःकाल का ये कलेवा

दिन का यह तो ये मेवा

अंग्रेजी में कहते इसे पाई

इसको कम न समझो भाई

जो मित्रों को खिलाते, कचोरी

बजती उसके घर शहनाई

कलयुग सर्वोत्तम दान कचोरी

खाओ, खिलाओ आप कचोरी

बंधुत्व प्रेम की पाओगे, बोरी

कचोरी बढ़ाती है, प्रेम डोरी



साहित्याला गुण द्या
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