ध्यान दें...!
ध्यान दें...!
जिनकी उम्रभर की
उमदा कमाई
बैंक खातों में
सुरक्षित जमा हो...
जिनको हर महीने
उस जमापूँजी का
बेहतर लाभांश
मिलता रहे...
जिनके आगे-पीछे की
कोई मजबूरियां न हो..
जो अपनी
खुशहाल जीवनयात्रा के दौरान
सहूलियत के
सारे साज-ओ-सामान का
भरपूर आनंद ले चुके होते हैं...
और वो लोग जिनकी
माली हालत बहुत अच्छी होती है,
वो अक्सर तुलनात्मक रूप में
कमज़ोर व आजीवन जूझते -फिरने वाले,
लाचार-मजबूर-जीवनदशा की मझधार में
फंसे
अनगिनत लोगों को
एक चीज़ आदतन
बेशक़ दिया करते हैं ;
वो है 'सलाह-परामर्श',
क्योंकि सलाह-परामर्श देना
कोई मुश्किल काम नहीं,
मगर हक़ीक़त में 'माजरा'
क्या है, वो तो
आजीवन मजबूरियों के साथ
जूझने वाले ...
सुबह से शाम तक
जद्दोजहद करनेवाले
अनगिनत लोग ही
महसूस करते हैं,
कोई 'सलाहकार' या
'परामर्शदाता' नहीं...!!!