STORYMIRROR

JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Crime

4  

JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Crime

ग़रीब की आवाज़...

ग़रीब की आवाज़...

1 min
1

जब किसी गरीब, ईमानदार
इंसान की पेट पर
बार-बार वक़्त की लात-घुसे
पड़ती रहती हैं न,
तब वो आखिर
दर्द और ज़ुल्म-ओ-सितम
सहने की सारी हदों को
पार कर
अपनी सोच
बदलने पर
मजबूर हो जाता है
और इस तथाकथित
समाज को संगठित करने की
उसकी इतने सालों की
खोखली दार्शनिकता एवं
खुद्दारी हारकर
पेशेवर रवैए में
बदल ही जाती है...!

इसीलिए दिन-ब-दिन
जद्दोजहद करते
किसी भी ग़रीब का
हक़ मत मारिए, वरना
उसकी जीवनव्यवस्था
नेस्तनाबूत हो जाएगी
और वो भी अपनी सारी हदें
पार कर जाएगा...!!

तब वो ऊपर बैठा विधाता भी
असमंजस में पड़ जाएगा...!
फ़िर आख़िर विद्रोह जन्म लेगा...
और ये तथाकथित समाज व्यवस्था
नेस्तनाबूत हो जाएगी...!!!

इसलिए हो सके, तो
किसी भी गरीब के
ईमान पर लात-घुसे मारने का 
ग़ुनाह मत कीजिए !!!

क्योंकि ऊपर बैठे
उस विधाता के
दरबार में
हर ग़रीब की
'हाय' जाएगी...!!!

तो नीचे बैठे उन गिनेचुन
बेदर्द सितमगरों का
स्वर्णसिंहासन पलटने में
ज़्यादा देर नहीं लगेगी...!!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama