~अनलिमिटेड~
~अनलिमिटेड~
प्रेम कोई एक चीज़, न!
बल्कि एक और ब्रह्मांड
सब हैं उसमें, नदी-नाले
नाव-समन्दर,उल्का परबत
फिर कहती हूँ, रुको।
धुप्प अँधेरे में कोई दिया
खण्डहर में, अकेला जले
जैसे, बिलकुल ऐसे
बात नहीं बनी?
रुको, फिर से...
दिसम्बर में चार लोग
कार में बैठे हों, और
खिड़की से छनकर
रोशनी बस आप पर
गिरे, ऐसे।
क्या मजनूं ने लैला से
पूछा होगा, तुम्हारी हाइट
कितनी है दिलरुबा?
और ब्रेस्ट साइज़?
कि रुको ज़रा, वालिदैन
से पूछ आऊँ...
और फ़्यूचर प्लानिंग!
तुम्हारे पापा के पास
फॉर्म हाउस भी नहीं?
चाइनीज़ बना लेती हो
और दाल बाटी?
मुझे असीमित चीज़ें
पसन्द हैं, शोना।
डाटा अनलिमिटेड
टॉक टाइम अनलिमिटेड
फन अनलिमिटेड
ज़िन्दगी अनलिमिटेड
प्यार है, वादा लम्बा
जॉन नैश को उम्र भर
शीज़ोफ्रेनिया था
लाइफ़ टाइम अचीवमेंट
मिलते वक़्त, चैलेंजिंग
सुंदरी उनकी बगलगीर
थीं, श्रीमती जॉन नैश
एक बूढी होती कॉल गर्ल
अपने धंधे से लौटते
लाती थी रोज़ डबल
ऑमलेट और आर सी
का हाफ,
कि उसको अली से
प्यार था,निठल्ला प्रेमी
और अब अरसे से बीमार
मुझे कहने दो...
इश्क़ का मारा कोई
नहीं कहता कभी
तुम नहीं हो उजली
कद कम है तुम्हारा
कि ट्रेडीशनल सचिन,
अपने तेंदुलकर
ख़ुद से छह साल बड़ी
अंजली को दिखाते हैं
उसका बचपन लोनावाला
के आसमान से,उड़ते हुए
उन्हें याद नहीं उम्र
की गठानें
कि कैंसर से मर रहा पति
आंग सान सू की, को
कर देता है आने की मनाही
हम अगले जन्म में
मिलेंगे पक्का
और मर गया वो
सू की यादों के गुलदस्ते
के साथ
रुको, फिर से एक बार
कटवा लेता है हरियाणा का
जोड़ा, अपना सिर
ताकि अगली सुबह
आईने में अपना सिर
अकेला न देखना पड़े
और एक लड़का
कहता है लड़की से
तुम्हारी पर्सनैलिटी पर
जँचता है मायनस नाइन
का मोटा चश्मा, ऐक्सिलैन्ट
माई डियर इतनी
असीमितताओं में क्यों
खड़े हो तुम
मेरी शादी का अल्बम
बिगड़ जायेगा
माइंड इट, वो मेरी भी
शादी होगी!
सच्ची, कितनी कम है
लम्बाई तुम्हारी
मैं नहीं बनाती तुम्हारी
मॉम जैसा खाना
बना भी नहीं सकती
तुम बांदी कुई से
हम कश्मीरी, फिर अब?
सीख लूँगी, मगर
यक़ीन तुम्हें रखना होगा।
तुम्हें सच बता दिया
नहीं जमती मेरे माँ बाप की
एक और गीत मिल गया
तुम्हें गाने के लिए
तुम्हीं ने तो कहा था
अपने बारे में बताओ
मैंने बता दिया
कह देते तुम सच
मत बताना!
नो डाउट, कद
कम है मेरा, पर तुम
कोई पहले नहीं
कहने वाले, फिर तुम
औरों से अलग कैसे
भीड़ का हिस्सा ही हुए न!
पढ़ा है तुमने तस्लीमा
चेतन भगत और
अरुंधति रॉय को, न तुम
किताब प्रेमी भी नहीं
क्योंकि वो जीता है
उन किताबों को
पढ़ता तो है ही नहीं
उफ़, मैं नहीं समझा
पायी न!
सुनो, छोड़ो झगड़ा
कितना आसान होगा
अगर हम दोनों रज़ामंद
हो जाएँ तो
मैं लम्बी नहीं हूँ और
तुम प्रेमी नहीं हो।
