मेरे होने में तुम्हारे ज़िक्र..
मेरे होने में तुम्हारे ज़िक्र..
मेरे होने में तुम्हारे ज़िक्र को छोड़ दूँ
मेरी बात में बसी तुम्हारी बात को छोड़ दूं
और कहेंगे लोग,
MBA कर लूँ
इतना आगे जाऊं
कदमों के नीचे की
धरती के मालुमात को छोड़ दूं.
और
तुम्हें न छोड़ने का यह
सुकून है मेरा
कि कभी इश्क़ बन कर रहे,
अब दर्द बन कर रहो
कहीं दुनियादारी और जीत से परे,
हार का अहसास बनके रहो
सुनो,
जाने की बात मत करो
मेरी बात में बात बन कर रहो।

