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Aanchal Bharara

Drama

0.8  

Aanchal Bharara

Drama

किस्मत !

किस्मत !

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बहुत खुश थी रानी जब आई थी दुल्हन बनकर ससुराल,

जेठ - जेठानी, सास - ससुर सबका मिला उसको प्यार।


उन दिनों की बात है ये, जब शादी होती थी छोटी उम्र में,

माँ ने बहुत प्यार से बैठाकर, विदा किया था उसको डोली में।


उसके हुए बच्चे चार,

दो थे बेटे और दो थी बेटियाँ यार।


कुछ समय बीता,

सास - ससुर का साथ छूटा।


जब हुई रानी 30 साल की,

हुआ बुरा जब गई पति की जान भी।


टूट गई वो उसी दिन से,

सम्भाला उसको जेठानी जी ने।


लोग ठगने लगे रानी को,

तरस ना आया कभी किसी को।


सबकुछ उसका छीन लिया,

खुशियों के संग पैसा भी गया।


उसने अपने भाई की दुकान पर,

बैठा दिया बेटों को काम पर।


बहुत मुश्किल से पैसे जोड़कर,

कुछ खुशी मिली उसको बेटियों को विदा कर।


फिर हुई बेटों की भी शादी,

पर घर पर रही हमेशा तंगी।


बेटे भी करते थे मेहनत, कमाने के लिये,

पर किस्मत नहीं थी अच्छी, साथ देने के लिए।


बच्चों के भी बच्चे हुए,

रानी दादी - नानी बनी।


अब तक भी रानी और उसके बेटे थे परेशान,

बस बेटियां देती थी उनका साथ।


आगे बच्चों को खूब पढ़ाना है,

उनके लिए बहुत कमाना है।


कई जगह, कई तरह का काम किया,

पर किस्मत ने फिर भी उनका साथ ना दिया।


बहुत मेहनत की, बहुत मन्नतें मांगी,

पर हमेशा हाथ रहते थे खाली।


गरीब कहकर ठुकराया सबने,

जेठ - जेठानी भी ना रहे अब जग में।


अकेले रह गए रानी और उसके बेटे,

पर बहने, परिवार और बीवी - बच्चे थे ज़िन्दगी में।


उनके लिए जिए जा रही थी रानी,

वो सब और बेटे ही थे उसकी जान भी।


हार गया एक बेटा किस्मत से एक दिन,

दे दी अपनी जान एक दिन।


हो गया अकेला दूसरा भाई,

माँ की, भाभी की, बीवी - बच्चों की ज़िम्मेदारी थी,

अकेले पर आई।


रहने लगा वह अब बहुत चिन्ता में,

लग गया कुछ छोटे - छोटे कामों में।


नहीं मिलता था अब भी उसको कुछ खास,

टूट गया अब उसका भी विश्वास।


चिन्ता ने ही ले ली उसकी भी जान,

अब रानी ने भी हार ली थी मान।


अब सिर्फ बेटों की बीवीयाँ थी उसके सामने,

आगे उनके छोटे बच्चे थे, बिन अपने - अपने पिता के।


भगवान ने बहुत की है नाइन्साफी,

पर रानी जी रही है ज़िन्दगी आज भी।


है आज भी परेशान, और किस्मत अब भी नाराज़,

सबके होते हुए भी अकेली रह गई है आज भी।


वो रानी है मेरी नानी,

हँसकर पूछती है मेरा हाल।


पर उसके साथ कभी किस्मत ने,

अच्छा नही किया यार।


कहने को है बड़ा परिवार,

पर बिना बेटों के वो है बेजान।


वैसे रहती है अब चुप - चुप वो,

पर हमें जीवन का ज्ञान है सिखाती वो।


जब तक भगवान की इच्छा है, जीए जा रही है।

सब दुखों में भी, हमें किस्मत से लड़ते हुए, जीना सिखा रही है।


जिसने कोई खुशी ना देखी ज़िन्दगी में,

हमने कभी ना देखा आँसू उनकी आंखों में।


अकेले में रोकर, दुखों से लड़कर,

ज़िन्दगी जीना सीखाया है नानी ने।


बहुत बुरे में भी, बहुत कुछ है हमारे पास,

इसलिए खुश रहो, सिखाया है नानी ने।


सबने उनको ठगा और उनका साथ छोड़ा,

पर सबको इज़्ज़त देकर, इज़्ज़त कमाना सिखाया है नानी ने।।


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