किस्मत...! किस्मत...!
एक मुक्तक एक मुक्तक
एक बाँसुरी वाला...। एक बाँसुरी वाला...।
मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम ! मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम !
कुछ पाने की उम्मीद लेकर अंधेरे में ही चल देता है वो। कुछ पाने की उम्मीद लेकर अंधेरे में ही चल देता है वो।
विदा होऊं जब इस जहाँ से मैं फूलों के बदले मेरी अर्थी पर, एक रोटी सजा देना। विदा होऊं जब इस जहाँ से मैं फूलों के बदले मेरी अर्थी पर, एक रोटी सजा देना।