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Aanchal Bharara

Abstract

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Aanchal Bharara

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याद आती है

याद आती है

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जी चाहता है घंटो माँ की गोद में सर रखकर बैठने का

जी चाहता है घंटो आप से बातें करने का

जी चाहता है घंटो आप के दिल की बातें सुनने का।

जी चाहता है माँ फिर से लोरी गाकर सुलाए

जी चाहता है फिर से वो मुझे चूमकर सुबह उठाये।

जी चाहता है आप के हाथों से खाना खाने का

जी चाहता है आप के हाथों का खाना खाने का।

कभी आप मुझे प्यार करो

कभी आप मुझे लाडो कहो।

कभी आप मुझे डांटो

कभी बच्चों जैसे मेरी डांट सुन लो।

कभी भाई के लिये मुझे समझाओ

कभी मेरे लिये भाई को समझाओ।

कभी ज़िन्दगी की मुश्किलों से लड़ना सिखाओ

कभी प्यार से सबका दिल जीतना सिखाओ।

बहुत याद आती है आपकी माँ

बहुत याद आते हैं शादी से पहले के वो दिन माँ।

हर पल जो बिताया है आपके साथ में

रखती हूँ उन यादों को अपने पास में।

मन की उदासी सबसे छुपा लेती हूं मैं

अपने आंसुओं को चुपके से रोक लेती हूं मैं।

चिड़िया है, उड़ जाएगी एक दिन

ये कहकर ये रिवाज़ बना दिया समाज ने।

पर बेटी कैसे रहेगी माता पिता से दूर

इन्सान है वो भी, ये भुला दिया समाज ने।

आऊंगी ससुराल से मिलने थोड़ी देर को

जी लुंगी उन पलों को फिर से थोड़ी देर को।


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