यलग़ार !!!
यलग़ार !!!
मैं बेशक़ फ़कीर हो जाऊंगा, मगर
वक्त के सितमगरों की ज्यादती से
मैं किसी भी सूरत-ए-हाल में
न तो हथियार डालूंगा
और न ही कर्म के मैदान-ए-जंग से
पीठ दिखाकर भागूंगा...!!!
ये जान लो कि इन गद्दार हालातों से
मैं ख़ौफ़ नहीं खाऊंगा...!!!
बेशक़ मैं वक्त के सितमगरों के आगे
कभी घुटने नहीं टेकूंगा...
क्योंकि ये वक्त मेरा है...!!!
और मैं अपनी औकात
दिखाकर ही दम लूंगा...!!!
मैं, बेशक़ अपना सर उठाकर जीऊंगा...
ये मेरी अपनी ज़िंदगी है!
मैं ख़ुद ही अपनी
अनसुनी दास्तां लिखूंगा...
मैं अपनी कामयाबी का परचम
लहराकर ही रहूंगा...!!!
ये जान लो कि वक़्त की
बनावटी पाबंदियां
मेरा रास्ता कभी रोक ही नहीं सकतीं...
क्योंकि मैं अभी तक ज़िंदा हूं!!!
हां, मेरा स्वाभिमान
अभी तक मरा नहीं!!!
मैं मजबूरियों की भिक्षा-पात्र लेकर
कतई नहीं घूमूंगा...
चाहे कोई कितना भी
छल-बल-कौशल इस्तेमाल करे,
वो इतने रईस नहीं हैं
कि मेरी ईमानदारी और
खुद्दारी पर
मोल-भाव करने की
जुर्रत कर सके!!!
ये मेरी यलग़ार है...!!!
