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निखिल कुमार अंजान

Drama Inspirational

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निखिल कुमार अंजान

Drama Inspirational

वो पुरुष है तुम भी नारी हो...

वो पुरुष है तुम भी नारी हो...

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मैं पुरुष हूँ

तो मेरा अधिकार है

स्त्री पर,


वो मेरी सत्ता है

मैं उस पर राज करुँगा,

उपभोग की वस्तु है

जमकर इस्तेमाल करुँगा।


जब नहीं होगी इच्छा

तो फिर जमकर

तिरस्कार करुँगा,

क्योंकि मै पुरुष हूँ...


अरे यार,

वो लौंडिया तो माल है

मिलकर मचाना

उसके साथ धमाल है,

लगती बड़ी कमाल है,


जबसे देखा है उसको

क्या बताऊँ यारो

क्या हाल है,


छोटे-छोटे कपड़े पहन के

जब वो निकलती है

नागिन जैसी

उसकी चाल लगती है।


मैं लड़का हूँ

मुझको भाता है

लड़कियाँ छेड़ने में

मजा आता है...


जब चार लड़के

इकट्ठे खड़े होते हैं

आजू बाजू से जाने वाली

लड़कियों पर

फब्तियाँ कसते हैं,

अपनी जागीर समझते हैं,


कमजोर समझ

उनका हर पल वो

मानसिक और

शारीरिक शोषण करते हैं,


बचपन से ही

दबाया जाता है

कुछ को तो कोख में ही

मरवाया जाता है।


पुरुष हूँ

बस हर पल यही

अहम जताता है...


वो पुरुष है तो

तुम भी नारी हो

आदि शक्ति हो

करती सिंह की सवारी हो।


खुद को न अब

तु कमजोर समझ

ऐसे नर पिशाचों का

अब तू विनाश कर।


बन के ज्वाला

उठा ले हाथ में भाला

बहुत पी लिया तुने

यह अपमान से भरा

विष का प्याला।


मान मर्यादा का

बुन के ताना-बाना

इनको तो बस ऐसे ही

शोषण तेरा करते जाना।


बहुत हुआ

यह अंदर ही अंदर

जलते जाना

बस अब और किसी

नारी की इज्जत को नहीं लुटवाना।


समाज कभी न तुम को

न्याय दिलाएगा

उलटा तेरे चरित्र पर ही

सवाल उठाएगा।


अब तेरे ही हाथ में है

ऐ देवी,

अपनी अस्मत को बचाना।


बहुत जरुरी हो गया

इनको अब पाठ पढ़ाना

जब भी कोई तेरी ओर

बुरी नजर से है ताके,


इतना रोष हो आँखों में तेरी

कि चरणों मे तेरे शीश झुकावे

जब यह

तेरी इज्जत करना

सीख जाएगा


तब खुदबखुद ही

जग सुंदर हो जाएगा...


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