कैसे मिलूँ उनसे
कैसे मिलूँ उनसे
जब उनसे पहली बार मिला
सब कुछ रुक सा गया था
शून्य सा मन
चिन्ताओं के पास घिरा था
कैसे मिलूं उनसे
यह सवाल बड़ा था
वो इतने हसीन कि निगाहों ने
कुछ और न देखा न चाहा था
अपना पता
एक टूटा सा घर बना था
दिल बड़ा था
मगर बाजार में कोई भाव न मिला था
वो जा रहे थे
यादों का दुःख भरा सन्देश देकर
जिंदगी वहीं डूबी
जहाँ डूबने के डर बड़ा था।
कैसे उनका पता पाता
जेबों का वजन कम था।

