STORYMIRROR

ललित सक्सैना

Abstract Drama Inspirational

4  

ललित सक्सैना

Abstract Drama Inspirational

ए जिंदगी

ए जिंदगी

1 min
370

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..

ए जिंदगी ! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ।


लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का ..

मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ।


चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक

गिरेबान में अपने ये सुनहरी जिंदगी लिए बैठा हूँ।


ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक ..

मुझे क्या फ़िक्र  मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ........


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract