ए देश मेरे तू शिक्षक है
ए देश मेरे तू शिक्षक है
ए देश मेरे तू शिक्षक है, तुझसे मिले संस्कार कई,
मैं क्या बोलूँ तू गुरु मेरा, दिये हैं तूने विचार कई ।
मैं रोता था घबराता था, तूने मुझेको संबल दिया,
तेरा इतिहास ऐसा है, जिसने है मुझको बल दिया।
तू खुद वेद है और कुरान, तुझमें बस्ता गीता का ज्ञान,
मैं रहूँ जहाँ, तू रहे वहाँ, मेरे दिल में तू बस्ता है,
ए देश मेरे तू शिक्षक है, तुझसे मिले संस्कार कई।
तू हिमालय सा अटल, तू गंगा सा पावन है,
तू विश्व का तेज वहाँ, तू मेरा अभिभावक है।
कैसे पहुँचा उस शिखर तक, जिसका पथ कठिन था,
मैंने पूछा देश से तो, उसने ही मुझसे प्रश्न किया ।
तूफानों में बुझ जाता है, क्या जलता हर एक दीया,
वो बुझता है जो बुज़दिल हो, जिसमे उठने की,
न ताकत हो ||पर दीया जो लौ अपनी को,
बढ़ाता है, तूफानों से लड़ जाता है।
मैं देश तेरा वो दीपक हूँ, जो जलता है राह दिखाता है,
मैंने झुकना सीखा ही नहीं, सब हैं अपने बतलाया है,
वसुदेव कुटुम्बकम, मैंने ये पाठ पढ़ाया है ।
मुझे गर्व है तुझ पर वीर, तूने जो शौर्य दिखाया था,
दुश्मन के पहरे थे पर, तूने इतिहास रचाया था,
मैं देश तेरा वो शिक्षक हूँ, मुझसे मिले संस्कार कई,
आज तुझे बतलाता हूँ, मत करना तू अहंकार कभी,
मैं तुझसे हूँ, तू मुझसे है, तेरे बिन मैं कुछ भी नहीं।
मैं बसता तेरे दिल में, मेरे दिल तू बसता है,
मैं तेरा ऊँचा मस्तक,तू मेरा अभिमान सही,
मैं तेरे सपनों का भारत, तू भी तो मेरा सपना है,
मैं तुझसे हूँ, तू मुझसे है, ये देश तेरा बस तुझसे है,
ये देश तेरा बस तुझसे है,
ये देश तेरा बस तुझसे है।