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Seema Pratap

Drama Inspirational

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Seema Pratap

Drama Inspirational

स्वपन चिरैया का

स्वपन चिरैया का

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कक्षा के द्वार के बाहर, बैठी एक चिरैया आकर,

बोली मुझको पढ़ना है, कठिन पहाड़ चढ़ना,

दुनिया मुझे डराती है, बुद्धु बहुत बनाती है,

फिर लड़ूँगी उनसे मैं, जब मैं कुछ बन जाऊँगी।


दुनिया मुझसे लेगी सीख, जब मैं सबक सिखाऊँगी,

रात बहुत गहरी है, लेकिन आएगा सवेरा भी,

रौशनी तब होगी, जब मैं सूरज बन जाऊंगी,

आकाश खड़ा है बाहें फैलाए, आजा मेरी परी,

है तू दुनिया तुझको क्या चाहेगी, जितना मैं तुझको चाहूँगा।


तेरे सहयोगी फुसलाएंगे, सपने तेरे बिखराएंगे,

तू जो अडिग रही पथ पर, तू हिमालय बन जाएगी,

कोई पहुँच न पाए तुझ तक तू वो मंजिल बन जाएगी,

आ तुझे राह दिखाता हूँ, आज मैं तुझे पढ़ाता हूँ ।


तू पंख अपने पसार, मैं बनूँगा तेरा गगन अपार,

सपनों को बोझिल न करना, आँखों से ओझल न करना,

तू मिटाकर रहेगी अंधकार, होगा रौशन ये संसार,

कक्षा के द्वार के बाहर बैठी एक चिरैया आकर,

कक्षा के भीतर जाकर, मिला चिरैया को खुला आकाश।


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