वो जो रोकते हैं अक्सर....
वो जो रोकते हैं अक्सर....
वो जो रोकते हैं अक्सर, मुझको बढ़ चढ़ कर,
वो जो टोकते हैं अक्सर, ये कर वो मत कर,
वो जो मालिक हो रहे हैं मेरे, बिन मेरी मर्ज़ी के,
वो डरते हैं मेरे गिरने से, या गिर कर संभलने से?
वो जो रोकते हैं अक्सर, मुझको बढ़ चढ़ कर…..
मेरे इरादों का आसमां, वो क्यों तय कर रहे है?
मेरे हौसलों का दायरा, वो क्यों जद कर रहे हैं?
वो जो मालिक हुए जा रहे है, मेरे मुस्तकबिल के,
वो डरते हैं मेरे सपने से, या सपने सच हो सकने से?
वो जो रोकते हैं अक्सर, मुझको बढ़ चढ़ कर…..
मैं एकांकी हूँ निबंध नहीं, कहानी हूँ कोई छंद नहीं,
मेरी राह अभी तय नहीं, मेरी मंज़िल सिर्फ मैं नहीं,
वो जो मालिक हुए जा रहे हैं, पंकज मेरी हस्ती के,
वो डरते हैं मेरे मिटने से, या मेरे अनमिट हो सकने से?
वो जो रोकते हैं अक्सर, मुझको बढ़ चढ़ कर…..