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Monika Yadav

Drama Romance Tragedy

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Monika Yadav

Drama Romance Tragedy

यूंही छलकाओ ना आंसू

यूंही छलकाओ ना आंसू

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यूंही छलकाओ ना आंसू

ज़रा सी बात पर तुम भी।

ज़माने बीत जाते हैं ये दरिया सुखाने में।


ऐसे जाओ ना उठकर,

भरी महफिल से यारों की।

अनुयुग बीत जाते हैं रूठो को मनाने में।


भुला दो बात जो कह दी,

ज़रा सी भूल में आकर।

यूंही बिन बात क्यूं खींचे,

मखमली डोर है आखिर।

बिताने को तो जीवन में,

पलों की कुछ कमी सी है।

एक मुस्कान पर तेरी,

मेरी दुनिया थमी सी है।

इस कदर अहमियत पर खुद की,

इतना इतराओ ना तुम भी।

ये कांधे टूट जाते हैं,

सर आंखों पर बैठाने में।

यूंही छलकाओ ना आंसू

ज़रा सी बात पर तुम भी।

ज़माने बीत जाते हैं ये दरिया सुखाने में।


ज़माने भर की बातों को,

क्यूं इतना भाव देते हो?

छोटी सी शरारत पर,

क्यूं भौंहें तान लेते हो?

दिलों की हसरतें जानो,

वो मुस्कुराना चाहता है।

गमों की बदरा में कहीं वो भी,

चंद्रमा खिलाना चाहता है।

ना भीगो खुद अकेले में,

इस बरसात में तुम भी,

कि हम कितने अश्रु गिराते हैं,

ये बारिश बुलाने में।

यूंही छलकाओ ना आंसू

ज़रा सी बात पर तुम भी।

ज़माने बीत जाते हैं ये दरिया सुखाने में।।



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