जा सनम
जा सनम
तेरे दर ओ दरवाज़े को खटखटाना छोड़ दिया,
जा सनम आज से हमने तुम्हें मनाना छोड़ दिया।
चौखट पर अपनी तूने बड़ा इंतजार कराया है,
नज़राने में जाने क्या क्या हमसे यूं मंगवाया है,
हमने भी अब पेशगी में तोहफे लाना छोड़ दिया।
जा सनम आज से हमने तुम्हें मनाना छोड़ दिया।
बिलख बिलख कर रोने के अब वो ज़माने चले गए,
फनाह हो जाए किसी बेवफा पर वो दीवाने चले गए।
हमने भी तेरी मोहब्बत सर -आंखों बैठाना छोड़ दिया।
जा सनम आज से हमने तुम्हें मनाना छोड़ दिया।
नहीं चलेगी कोई तेरी मनमानी अब इस मुफलिस पर,
बेच दी हमने अपनी सारी खुशियां तेरी बेहिस पर।
हमने भी अपने सब्र का अब बांध बनाना छोड़ दिया।
जा सनम आज से हमने तुम्हें मनाना छोड़ दिया।
तेरे दर ओ दरवाज़े को खटखटाना छोड़ दिया।

