एक सपना
एक सपना
एक सपना मीठा सा,
एक ज़रा सा तीखा।
एक वो जब तू मिल गया,
एक वो जब तुझे खोकर सीखा।
एक सपना खुरदुरा,
एक मखमल जैसा कोमल।
जब मुझसे झगड़कर तुम रूठे,
और मनाने को लिख दी मुझ पे ग़ज़ल।
एक सपना सहमा सा,
एक सपना बेफिक्री का।
जब जागा खो देने का गम,
और बांहों में तुमने समेटा।
एक सपना मिलन का,
एक सपना जुदाई।
जब तुम छत पर मिलने आए,
एक वो बस जब तुम्हारी खबर आई।
एक सपना पूरा सा,
एक अधूरा रह गया।
तुमने जब इकरार किया,
और मेरे धैर्य का बांध टूट गया।
एक सपना ऐसा भी,
और एक सपना वैसा।
हर सपने में चिन्ह तुम्हारे,
हर सपना तुम जैसा।

