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Shaku .

Drama

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Shaku .

Drama

इल्ज़ाम

इल्ज़ाम

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सोचा था मैंने, मांगूँ खुदा से तुझे

तेरी हरकतों ने मुझको रोक दिया...

मैं सजदा करने को झुका ही था

फिर यादों ने मुझको टोक दिया...


चाह के भी मैं तेरे खुशियों की वजह

तेरे गमों का सहारा न हो सका...

जो भी इल्जाम था मुझ पे झूठा तेरा

मेरे ईमान को सारा सोख लिया...


मैं ज़माने की भी ना सुनता था कभी

तेरी खातिर अपनों से भी दूर रहा...

तेरे ख्वाबों को पूरा करने की जिद में

कामगारों सा खुद मजबूर रहा...


मैंने सोचा ना था हश्र होगा मेरा

एक कहानी के पागल मजनूँ की तरह...

ठोकरें खाता फिर फिरेगा कहीं

कि चाहत में खुद को ही खो दिया...


अब ना चाहत है पाने की तुझे

मैंने जिद भी करना छोड़ दिया...

तेरे सामने अगर मैं आ भी गया

ना मिलेंगे नजर मैंने सोच लिया...


सोचा था मैंने, मांगूँ खुदा से तुझे

तेरी हरकतों ने मुझको रोक दिया...

मैं सजदा करने को झुका ही था

फिर यादों ने मुझको टोक दिया...



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