कान्हा तो अपनी हरकतों से बाज न आयें.. कान्हा तो अपनी हरकतों से बाज न आयें..
ख़ुदा की रहमत ना थी या अपनों ने की थी रुस्वाई ख़ुदा की रहमत ना थी या अपनों ने की थी रुस्वाई
जो भी फरमाइशें हैं तुम्हारी थोड़ा रुक रुक कर फरमाओ। जो भी फरमाइशें हैं तुम्हारी थोड़ा रुक रुक कर फरमाओ।
"मक्कारी" अब चेहरों के बीच दमकने लगी है "हिंसा" शब्दों और आचरण में दिखने लगी है "मक्कारी" अब चेहरों के बीच दमकने लगी है "हिंसा" शब्दों और आचरण में दिखने लगी...