हम तो राहों से भटके मुसाफिर यारो सितारे बुलंद कभी थे ही ना हमारे सच्चाई की राहों पर थके हारे... हम तो राहों से भटके मुसाफिर यारो सितारे बुलंद कभी थे ही ना हमारे सच्चाई ...
नए नए ख्वाब उनको बुनने दो उन्हें अपने दिल की सुनने दो। नए नए ख्वाब उनको बुनने दो उन्हें अपने दिल की सुनने दो।
औकात ही क्या थी तुम्हारी, जो राज कर सको भारत वर्ष पर, औकात ही क्या थी तुम्हारी, जो राज कर सको भारत वर्ष पर,
दूर कहीं दुनिया में रहती तो होगी कहीं सच्चाई, ईमानदारी और मासूमियत। दूर कहीं दुनिया में रहती तो होगी कहीं सच्चाई, ईमानदारी और मासूमियत।
खेत का चावल खेत का गेहूँ खेत का आलू बैगन रहता था खेत का चावल खेत का गेहूँ खेत का आलू बैगन रहता था
तब हिन्दू चुप बैठे ऐसा, कभी नहीं हो सकता है। तब हिन्दू चुप बैठे ऐसा, कभी नहीं हो सकता है।