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Abasaheb Mhaske

Drama

5.0  

Abasaheb Mhaske

Drama

छोटी सी जिंदगी

छोटी सी जिंदगी

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छोटी सी जिंदगी, बस कुछ अरमान 

हो सके ना पूरे फिर भी हम 

अकेले-अकेले जिये जा रहे हैं  

जहर जिंदगी का पिये जा रहे हैं।


हम भी कितने नादान हैं यारो  

झूठ, फरेब, मक्कारी के माहौल में 

आयेंगे हमारे भी अच्छे दिन कैसे ? 

उम्मीदों के दिये जलाये जा रहे हैं।


यह कौन सा मोड़ जिंदगी का ?

ना मंजिल है, ना ठिकाना  

फिर भी चलते जा रहे हैं 

मोम बत्ती जैसे जलते जा रहे हैं।


हम तो राहों से भटके मुसाफिर यारो 

सितारे बुलंद कभी थे ही ना हमारे 

सच्चाई की राहों पर थके हारे 

अकेले-अकेले जिये जा रहे हैं।


हर तरफ केवल भीड़ ही भीड़ 

इन्सानियत कहां नजर आ रही हैं ?

दुनिया के मेले मे गुमशुदा हैं हम   

अकेले-अकेले जिये जा रहे हैं।


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