दुनिया को क्या हो गया ?
दुनिया को क्या हो गया ?
अब तक यहीं था,
वो क्या खो गया ?
मालिक ये दुनिया को,
क्या हो गया ?
वो हंसते से चेहरे
वो खिलती कली !
ये दुनिया कहां थी
कहां अब चली ?
ये निर्दयी करोना !
कुछ तो करो ना !
भय से भरा है
हर मन का कोना।
जरा सुन ऐ बन्दे
जो तेरे ये धन्धे!
वजन से झुके हैं
प्रकृति के कन्धे।
बैठा तू घर है
सुनसान शहर है।
ये भी प्रकृति पर,
समय की मेहर है।
वो निर्मल हवा
वो गाते हैं पंछी।
तनिक सा भी बोध
नहीं तुझको अब भी ?
कोरोना से नहीं
खतरा है तुमसे।
शान्ति है सब ओर
अन्दर हो जब से।
भूल तो हुई है
अब क्या करें ?
जो खाली उदर हैं
वो कैसे भरें ?
सदा संग हूं मैं बन्दे
कुछ तो पहल कर
जो मानस हैं निर्बल
उनकी मदद कर।
दूर होगा अंधेरा
जब जागो सवेरा !
पर संयम का संदेश,
रहे दिल में मेरा।