शीर्षक - एकता की अलख
शीर्षक - एकता की अलख
मुरलीधर पीतांबर धारी
या हो खुदा परवरदिगार।
मंगलमय है नाम तिहारा
तू ही तो है पालनहार।
दुखियों के दुख हरने वाले
योगेश्वर गिरधारी।
जाति धर्म का भेद मिटा दो
नमन तुम्हें अधहारी।
हिंसा प्रतिहिंसा को तज दो
वैर भाव सब त्यागो।
कुर्बान हुए जो जनसेवा में
उनकी खातिर कुछ तो धर्म निभा लो।
आज विश्व में छाई अशांति
एक होकर बढ़ना है आगे।
सहयोग देकर विश्व को
लड़ना है अब करोना से जाकर।
कर्तव्य की इस घड़ी में आज
धैर्य की परीक्षा है तुम्हारी।
नव जागृति के पावन पथ पर
सर्वधर्म समभाव से एकता की
अलख जगा लो।