STORYMIRROR

Kamini sajal Soni

Tragedy Inspirational

4  

Kamini sajal Soni

Tragedy Inspirational

धरा का श्रंगार

धरा का श्रंगार

1 min
442


आकाश में दौड़ते श्वेत मेघ 

हरियाली से लदे पहाड़

नौजवानों की तरह मस्ती में झूमते पेड़

हरियाली की चुनर ओढ़े धरा

 किस्से सुना रही हूं अपने बचपन के..!

आज धुंध से भरे हुए हैं बादल

धूल और कंक्रीट से भरे पहाड़

प्रदूषण से असमय बूढ़े हो गए पेड़

सूखी बंजर धरा पर इंसानी अत्याचार 

 है समय अब भी आओ सब मिलकर

करते हैं प्रकृति का श्रंगार

आम ,जामुन,बरगद और नीम के वृक्षों से

महक उठे हर घर का आंगन...!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy